
पंजाब के अधिक प्रभावित गाँवों में पराली जलाने की घटनाएँ रोकने के लिए 8500 नोडल अफ़सर तैनात
पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी रखने के लिए ज़िला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित
धान की पराली को आग लगाने की समस्या पर काबू पाने के लिए उठाए कदम
नबज़-ए-पंजाब ब्यूरो, चंडीगढ़, 19 सितम्बरः
पंजाब में धान की कटाई के सीजन दौरान पराली जलाने की समस्या पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने अधिक प्रभावित गाँवों के तौर पर पहचान किये गए इन सभी गाँवों में 8500 नोडल अफ़सर तैनात किये हैं। धान की फ़सल का उत्पादन करने वाले इन गाँवों को इसलिए अधिक प्रभावित गाँव माना जाता है क्योंकि इन गाँवों में गत समय से धान की पराली को आग लगने की घटनाएँ घटती आ रही हैं। यह खुलासा करते हुए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मैंबर सचिव करुनेश गर्ग के मुताबिक सम्बन्धित जिलों के डिप्टी कमीश्नरों को ज़रूरी हिदायतें पहले ही जारी कर दी गई हैं कि इन प्रभावित गाँवों में विशेष ध्यान दिया जाये, जहाँ पिछले सीजन दौरान हर गाँव में पराली को आग लगने की 25 से अधिक घटनाएँ घटीं थीं। ज़िक्रयोग्य है कि पटियाला, संगरूर, बठिंडा, फ़िरोज़पुर, श्री मुक्तसर साहिब, तरन तारन, मोगा और मानसा की अधिक प्रभावित जिलों के तौर पर पहचान की गई है जहाँ पिछले सीजन में इनमें से हर ज़िले में धान की पराली को आग लगने की 4000 से अधिक घटनाएँ घटने के मामले सामने आए थे। श्री गर्ग ने यह भी बताया कि हर ज़िले में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है जहाँ पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी करने, मोबाइल ऐप से डाटा डैशबोर्ड पर अपलोड करने और अलग-अलग तरफ से कार्यवाही करने बारे प्राप्त हुई कार्रवाई रिपोर्ट को तैयार करना और जमा करवाने का कार्य किया जायेगा। मैंबर सचिव ने आगे बताया कि इन नोडल अफसरों को हर प्रभावित गाँव में तैनात किया गया है जिससे किसानों को पराली जलाने से परहेज़ करने बारे जागरूक करने के अलावा धान की कटाई के बाद के कार्यों पर नज़र रखी जा सके। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, सहकारिता, राजस्व, ग्रामीण विकास एवं पंचायत, कृषि, बाग़बानी और भूमि संरक्षण सहित अन्य विभागों के स्टाफ को नोडल अफ़सर के तौर पर तैनात किया गया है ताकि पंजाब में पराली जलाने के अस्वस्थ रुझान को रोकने के लिए किये जा रहे यत्नों को और तेज़ किया जा सके। इन नोडल अफसरों की तरफ से गाँवों में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न गतिविधियां चलाई जाएंगी जिसके अंतर्गत किसान बैठकें, फसलों के अवशेष के निपटारे के लिए मशीनों का बंदोबस्त करना, गाँवों में प्रचार सामग्री बाँटने के अलावा अन्य तौर-तरीकों के साथ भी पराली को आग लगाने के रुझान के खि़लाफ़ अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करना है। बताने योग्य है कि राज्य सरकार ने किसानों द्वारा पराली को जलाए बिना इसका निपटारा करने के लिए व्यापक प्रोग्राम भी तैयार किया हुआ है। बीते तीन सालों में किसानों, सहकारी सभाओं, पंचायतों और कस्टम हायरिंग सैंटरों को सब्सिडी पर 76,626 कृषि मशीनें /यंत्र सप्लाई किये गए हैं। इस साल दौरान भी पंजाब कृषि और किसान कल्याण विभाग ने किसानों, सहकारी सभाओं, पंचायतों और सी.एच.सी. से प्राप्त हुई अर्ज़ियों के आधार पर 31,000 से अधिक मशीनों को मंजूरी दे दी है जिससे इनके द्वारा धान की पराली का खेतों में या खेतों से बाहर निपटारा करने के लिए 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मशीनरी ख़रीदी जा सके।