Share on Facebook Share on Twitter Share on Google+ Share on Pinterest Share on Linkedin सीमा पर जवानों का साथ देगा मंच का हर कार्यकर्ता: पंकज बीटीएसएम के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजा पत्र नबज़-ए-पंजाब ब्यूरो, नई दिल्ली, 2 सितंबर: भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) का एक-एक कार्यकर्ता भारतीय सेना को जंग के मैदान में सहयोग के लिए डटेगा। सन 1962 के भारत-चीन युद्ध में जिस तरह आरएसएस ने सेना की मदद की थी, उसी तरह संघ के सहयोगी संगठन इस मंच ने अब कमर कस ली है और चीन के विरुद्ध अवश्यंभावी दिख रहे युद्ध में प्रत्यक्ष सहयोग की ठान ली है । मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजते हुए कहा है कि बीती 29-30 अगस्त की रात जिस तरह चीन के 500 सैनिकों ने पेंग्वेंग झील के पास भारतीय ठिकाने पर धोखे से हमला कर कब्जा करने की कोशिश की, वह अब हर सच्चे भारतीय के सब्र का बांध तोड़ने जैसा है। उन्होंने कहा कि अब और बर्दाश्त नहीं।* प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करते हुए श्री गोयल ने कहा कि चीन को अब उसके घर तक खदेड़ना जरूरी हो गया है और इस काम को युद्ध से ही निपटाया जा सकता है। हम बुद्ध के उपासक जरूर हैं, पर धर्म व शांति की स्थापना के लिए युद्ध जरूरी हो तो करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत तिब्बत सहयोग मंच के देश भर में फैले लाखों कार्यकर्ता युद्ध होने की दशा में भारत की सेना के साथ कदम से कदम मिलाकर हर प्रकार का सहयोग देने में सक्षम हैं और प्रधानमंत्री मोदी जी जिस दिन और जिस पल भी मंच से अपेक्षा करेंगे, हम सब कार्यकर्तागण युद्ध के मैदान में जा डटेंगे। श्री गोयल ने कहा कि चीन में हर धर्मावलंबी को सताया जाता है और अंततः बेरहमी से कत्ल भी कर दिया जाता है। ईसाई और मुस्लिम तक अपने धार्मिक संस्कारों व रीति-रिवाजों को मना नहीं सकते। आज भारत पर जो संकट है, उसे को देखते हुए मंच हर सच्चे भारतीय से, जिसमें मुसलमान व ईसाई भी शामिल हैं, का आह्वान करता है कि भारतीय सेना और प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ खड़े होने का वक्त आ गया है और जिस दिन भारत के सारे सच्चे भारतीय एक साथ खड़े होंगे, उसी दिन मानवता पर कोढ़ और कलंकित देश चीन हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।
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ਬੀਤੇ ਪੰਜ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਵਾਪਰੀਆਂ ਸਿਆਸੀ ਘਟਨਾਵਾਂ ਨਾਲ ਦੁੱਖ ਪਹੁੰਚਿਆ-ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅਸਤੀਫਾ ਦੇਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸੋਨੀਆ ਗਾਂਧੀ ਨੂੰ ਲਿਖਿਆ ਪੱਤਰ