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संघर्ष के दौरान जान गंवा चुके 150 किसानों के वारिसों को नियुक्ति पत्र न सौंपे जा सकने का दुख – कैप्टन अमरिन्दर सिंह

उम्मीद है कि नये मुख्यमंत्री जल्द इस कार्य को पूरा करेंगे और किसानों की लड़ाई में उनके साथ खड़े होंगे

किसानों को बनते हक दिलाने के लिए लड़ाई जारी रखने के प्रति वचनबद्धता दोहराई

नबज़-ए-पंजाब ब्यूरो, चंडीगढ़, 19 सितम्बरः
पंजाब कांग्रेस के संकट के दरमियान पार्टी की तरफ से बेइज़्ज़त किये जाने के बाद मुख्यमंत्री के ओहदे से इस्तीफ़ा देने के एक दिन बाद कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज खेती कानूनों के खि़लाफ़ चल रहे संघर्ष दौरान जान गंवा चुके 150 किसानों के परिवारों को नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र बाँटने का निर्धारित प्रोग्राम रद्द हो जाने पर दुख ज़ाहिर किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नया मुख्यमंत्री मनोनीत हो चुका है जिस कारण दुर्भाग्यवश वह मृतक किसानों के वारिसों को निजी तौर पर नियुक्ति पत्र नहीं सौंप सकेंगे, हालांकि उनका मंत्रालय इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे चुका है। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि नये मुख्यमंत्री इस कार्य को जल्द पूरा करेंगे जिससे पीड़ित परिवारों को राहत मिल सके।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मुख्यमंत्री के पद के लिए मनोनीत चरनजीत सिंह चन्नी को यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि राज्य सरकार संकट का सामना कर रहे पंजाब के किसानों के साथ अपना साथ जारी रखे जिन्होंने इन्साफ के लिए हमारी साझा लड़ाई में अपनी ज़िन्दगियां तक कुर्बान कर दीं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वह अपने अस्तित्व और इन्साफ के लिए संघर्ष कर रहे किसानों का साथ पहले की तरह देते रहेंगे। उन्होंने कहा, “हर पंजाबी बल्कि हर भारतीय का इस मुश्किल घड़ी में किसानों के साथ नैतिक तौर पर खड़ा होना बनता है।“ उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हालांकि वह इस समय राज्य की बागडोर नहीं संभाल रहे परन्तु उनका दिल हमेशा ही किसानों और उनके परिवारों के साथ है और अपनी सरकार के दौरान किसानों के बनते हक दिलाने को यकीनी बनाने के लिए वह जो भी कर सकते थे, वह सब कुछ किया।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह जिनकी सरकार ने संघर्ष के दौरान मारे गए 298 किसानों के वारिसों को 14,85,50,000 रुपए का मुआवज़ा भी दिया, ने कहा कि वह भारत के अन्नदाताओं के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। यह हर सरकार और राजनैतिक पक्ष, चाहे वह पंजाब या किसी अन्य राज्य या फिर केंद्र की सरकार हो, की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि किसानों को उनके बनते हक दिए जाएँ। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे 51 और मामले भी प्रक्रिया अधीन है।

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