सुखबीर बादल ने की केंद्रीय राशन घोटाले की सीबीआई जांच की मांग

कहा कि सरकार तेल की कीमतों में 10 रूपए प्रति लीटर की कमी करे, पार्टी भी केंद्र से इस तरह की कटौती करने के लिए आग्रह करेगी

गरीबों को राशन से वंचित करने, तेल की कीमतों को कम करने की मांग और सरकार द्वारा प्राईवेट स्कूलों के छात्रों की छह महीने की फीस देने की मांग के विरोध पर अकाली दल के धरने के साथ लाखों लोगों ने कदम से कदम मिलाए

विक्रम जीत
नबज़-ए-पंजाब ब्यूरो, जीरकपुर, 7 जुलाईः शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज केंद्रीय राशन घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि गरीबों के लिए राशन का गबन करने वाले कांग्रेसियों को सजा दिलाई जानी चाहिए तथा उन्होने कांग्रेस सरकार से पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने की भी अपील की।
सरदार बादल ने कहा कि एक बार पंजाब सरकार तेल की कीमतों में 10 रूपए प्रति लीटर कम कर देती है तो हम केंद्र सरकार से भी ऐसा ही करने का अनुरोध करेंगे। अकाली नेता ने एक विशाल धरने में घोषणा की कि उन्होने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद कम करने के लिए पत्र लिखा था। उन्होने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि राज्य के किसी भी प्राईवेट स्कूल का कोइ भी छात्र केवल इसीलिए प्रताड़ित न हो क्योंकि उसके माता-पिता कोविड-19 महामारी के दौरान कम आय के कारण स्कूल की फीस नही दे पा रहे थे। उन्होने कहा कि राज्य को प्राईवेट स्कूलों को एडवांस में छात्रों को छह महीने की स्कूल फीस जमा करवानी चाहिए।
यहां एक विशाल धरने का नेतृत्व करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि आज लाखों पंजाबियों ने ‘पंजाब बचाओ’ तथा के आहवाहन पर हजारों गांवों के लोगों तथा ‘अड्डाज्’ ने सामने आकर कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ महामारी के दौरान बीच में छोड़ने के लिए अपने गुस्से का प्रदर्शन किया। लोग आज तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ साथ बिजली की दरों और अन्य करों में बढ़ोतरी के लिए कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं क्योंकि कांग्रेसियों ने कई घोटालों से राज्य के खजाने को लूटा है चाहे वह 5600 करोड़ का शराब घोटाला हो यां फिर 4000 करोड़ रूपए का बीज घोटाला, अवैध खनन यां बीमा घोटाला हो।
सरदार बादल ने लोगों को लाखों की संख्या में एकजुटता जाहिर करने के लिए आने के लिए तथा कांग्रेस सरकार तथा मुख्यमंत्री को जोकि दिखावेबाजी करने में मस्त रहा जब उसे लॉकडाउन के दौरान लोगों की आवाज सुननी चाहिए थी उसे मजबूर करने के लिए धन्यवाद किया। उन्होने डेरा बस्सी के विधायक एनके शर्मा के साथ जीरकपुर में कहा कि आज राज्य के गांव और कस्बे में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास किया गया है और अकाली-भाजपा कार्यकाल के दौरान मोहाली के विकास के लिए धन्यवाद किया तथा खुलासा किया कि किस तरह कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान अब हर विकास कार्य कैसे रूक गया है।
वरिष्ठ अकाली नेता और सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि पंजाब के लोगों को महामारी के दौर में अपने भाग्य पर छोड़ दिया गया था, यहां तक कि कांग्रेसी नेता सीमा पर से तस्करी के अलावा अवैध शराब के निर्माण और बॉटलिंग में लिप्त होकर खुली छूट का सहारा ले रहे थे। उन्होने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने केंद्र से मिलने वाले राशन का गबन करना और खुले बाजारों में बेचकर गरीबों के साथ बहुत भेदभाव किया था।
पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने मजीठा में विशाल धरना प्रदर्शन किया और मांग की कि केंद्र और राज्य दोनो ही तेल की कीमतों में 10 रूपए प्रति लीटर की कटौती करें। उन्होने कहा कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में पंजाब में डीजल सबसे महंगा था , यहां तक कि देश की आजादी के बाद पहली बार दिल्ली में पेट्रोल की कीमत भी पार कर गई। उन्होेने कहा कि सरदार परकाश सिंह बादल की लीडरशीप में अकाली-भाजपा कार्यकाल के दौरान डीजल की कीमत अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम हुआ करती थी।
स्कूली बच्चों पर अत्याचारों के बारे बोलते हुए कहा कि जिनके माता-पिता उनकी फीस का भुगतान करने में असमर्थ थे क्योंकि उन्हे नौकरी गंवानी पड़ी यां उन्हे कारोबार में नुकसान उठाना पड़ा। सरदार मजीठिया ने कहा कि सरकार को ऐसे बच्चों की छह महीने की फीस प्राईवेट स्कूलों को चुकानी चाहिए। उन्होने कहा कि यह छोटा सा प्रयास उन बच्चों के भविष्य को बचाने में काफी सहायता करेगा, जिनके माता-पिता फीस देने में असमर्थ थे।उन्होने बताया कि कैसे शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला की प्राईवेट स्कूल प्रबंधनों के साथ मिलीभगत है उन्होने उनके साथ मिलीभगत करके यह सुनिश्चित किया कि वे कोविड-19 महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने के बावजूद बच्चों से एडमिशन और ट्यूशन फीस ले सकते हैं।
रोपड़ में धरने का नेतृत्व करते हुए डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल को बाहर आकर धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जनविरोधी नीतियों का पालन कर रहे थे और महामारी के समय उनपर असहनीय बोझ डाल रहे थे। ‘ लोग राहत ढूंढ़ रहे हैं लेकिन कांग्रेस सरकार अन्य करों के अलावा बढ़े हुए बिजली के बिलों के जरिए उनके बोझ को ज्यादा बढ़ा रही है, जिसके कारण कांग्रेसी राज्य के खजाने की कीमत पर खुद को समृद्ध कर रहे हैं।
राज्यव्यापी धरनों को राजपुरा और मोहाली में प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने, मोगा में जत्थेदार तोता सिंह, अमृतसर में सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया, गुरदासपुर में गुरबचन सिंह बब्बेहाली, लखबीर सिंह लोधीनंगल तथा रविकिरण काहलों, फिरोजपुर में अवतार सिंह जीरा, वरदेव सिंह मान तथा जोगिंदर जिंदू, कपूरथला में डॉ. उपिंदरजीत कौर तथा बीबी जागीर कौर, लुधियाना में महेशइंदर ग्रेवाल, शरनजीत सिंह ढ़िल्लों, मनप्रीत अयाली तथा रंजीत सिंह ढ़िल्लों, जालंधर में गुरप्रताप सिंह वडाला,पवन कुमार टीनू, बलदेव सिंह खैहरा तथा सर्बजीत सिंह मक्कड़, पटियाला में सुरजीत सिंह रखड़ा, हरपाल जुनेजा, बठिंडा में सिकंदर सिंह मलूका, जगदीप निकई, सरूप सिंगला, दर्शन सिंह कोटफत्ता, मानसा से बलविंदर सिंह भूंदड़, दिलराज भूंदड़, जगदीप निकई तथा डॉ. निशान सिंह, मुक्तसर से कंवलजीत सिंह बरकंदी और फरीदकोट से मंतर सिंह बराड़ तथा सुबा सिंह बादल, संगरूर से कुलवंत सिंह किटू , बलबीर सिंह घूनस और सतनाम सिंह राही, होशियारपुर से सोहन सिंह ठंडल, मोहिंदर कौर जोश, अरविंदर रसूलपूर, जतिंदर सिंह लाला बाजवा और सर्बजोत साबी, सुरेंद्र सिंह, रोपड़ से डॉ. दलजीत सिंह चीमा, हरमोहन सिद्धू, परमजीत सिंह मक्कड़, परमजीत सिंह लक्खेवाल, तरनतारन से विरसा सिंह वल्टोहा, हरमीत सिद्धू इकबाल सिंह , अलविंदर पाखोके, नवांशहर से डॉ. सुक्खविंदर सुक्खी, जरनैल सिंह वाहिद तथा बुद्ध सिंह बालाकी, फतेहगढ़ साहि बसे दरबारा सिंह गुरु, गुरप्रीत सिंह राजुखन्ना ने नेतृत्व किया।

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