Share on Facebook Share on Twitter Share on Google+ Share on Pinterest Share on Linkedin खाद्य पदार्थों को ट्रांसफैट मुक्त बनाने के लिए राज्यस्तरीय संगोष्ठी का किया आयोजन ट्रांसफैट के कारण विश्व में हर साल ੫.੪ लाख लोगों की होती है मौत नबज़-ए-पंजाब ब्यूरो, मोहाली (੨੦ सितंबर): खाद्य पदार्थों को ट्रांसफैट मुक्त बनाने तथा लोगों को इससे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए जनरेशन सेवियर एसोसिएशन तथा गलोबल हेल्थ एडवोकेसी इंक्यूबेटर द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी में स्वास्थ्य विभाग पंजाब, पी.जी.आई, नाईपर, केंद्रीय ग्रामीण एंव उद्योगिक विकास केंद्र, चण्डीगढ़ होटल मैनेमेंट इंस्टीटियुट, फूड सेफ्टी विभाग चण्डीगढ़ के अधिकारीयों सहित कई सारी सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । इस मौके पर पंजाब के एन.सी.डी प्रोगराम के नोडल अधिकारी डा. जी.बी सिहं ने कहा कि उद्योगिक तौर पर पैदा होने वाले ट्रांसफैट को हमारी फूड श्रंखला से बाहर करना बहुत जरूरी है । क्योंकि इसकी वजह से दिल की बिमारियां होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है और हर साल विश्व में ੫.੪ लाख लोगों की मृत्यु होती है । वहीं पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रो डा. अमरजीत सिहं ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश में पार्शली हाईडरोजनेशन से तैयार होने वाली खाद्य तेलों की खपत काफी बढ़ गई है जिसका मुख्य कारण इनका सस्ता होना है । उन्होंने बताया कि हमें पूरे दिनभर की डाईट के लिए हमें ੨ ग्राम से भी कम ट्रांसफैट की जरूरत होती है । लेकिन असल में हम इससे अधिक मात्रा में ट्रांसफैट ले रहे हैं । जिसके कारण हम कई सारी बिमारियों जैसे डायबटीज, कैसंर, अल्जाईमर, पथरी, हाई बल्डप्रेशर, दिल के रोग, इनर्फटीलिटी आदि का शिकार हो रहे हैं । इस मौके पर जनरेशन सेवियर एसोसिएशन की अध्यक्ष उपींद्र प्रीत कौर गिल ने कहा कि खाद्य पदार्थों को ट्रांसफैट मुक्त बनाने के लिए अलग-अलग विभागों के मध्य समन्वय होना बहुत जरूरी है, क्योंकि सिर्फ स्वास्थ्य विभाग पर ही इस समस्या के समाधान का जिम्मा नही डाला जा सकता । उन्होंने कहा कि आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा ताकि उन्हें पता चल सके कि वे जिन भी खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहें हैं वह उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक है भी या नही । वहीं दिल्ली से आए सुप्रीम कोर्ट के वकील रंजीत सिहं ने बताया कि एफ.एस.एस.ए.आई द्वारा ੧ जनवरी ੨੦੨੨ तक सभी प्रकार के खाद्य तेलों में ट्रांसफैट की मात्रा ੨ प्रतिशत करने का रेगुलेशन जारी किया गया है । उन्होंने बताया कि एफ.एस.एस एक्ट ੨੦੦੬ के तहत हर एक खाद्य पदार्थ के पैकट में में ट्रांसफैट ( अगर उसमें ट्रांसफैट युक्त सामग्री का प्रयोग किया गया हो) कि मात्रा के बारे में बताना जरूरी है और यह मात्रा फिलाहल ੫ प्रतिशत (वजन के अनुपात में) से अधिक नही हो सकती है । इस प्रकार के पैकट में एक लाल रंग का मार्क छपा होना भी जरूरी है । इसकी उल्लंघना करने या भ्रमित जानकारी पैकट पर छापने पर तीन लाख रूपऐ तक का जुर्माना हो सकता है । एम.सी.एम डी.ए.वी कॉलेज चण्डीगढ़ के फूड साईंस विभाग की मुखिया डा. गीता मेहरा ने कहा ट्रांसफैट का मुख्य प्रयोग जंक फूड और बेकरी में बनने वाले उत्पादों में होता है जिसमें केक, पेस्टी, पैटी, डोनट्स, मफिन, फ्रैंच फ्राईस, बर्गर, आईक्रीम, फ्रोजन डेर्स्ट आदि प्रमुख हैं । उन्होंने कहा कि ट्रांसफैट मुक्त खाद्य पदार्थों के लिए जरूरी है कि लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना तथा ट्रांसफैट युक्त वन्सपति तेलों के अलावा दूसरे सेहतमंद विकल्पों को प्रचारित और बढ़ावा देना । इस मौके पर सुरजीत कौर सैनी, डा. ओमप्रकाश बीरा, डा. रूपा शिवाशंकरा, डा. एस.पी सुरिला, डा. आस्था बग्गा, डा. स्वाति गौतम, अर्शदीप सिहं, नितलीन कौर, संदीप सिहं आदि भी उपस्थित थे ।
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